श्री कृष्ण का जन्म पुरे भारतवर्ष में हर साल जन्माष्टमी के रूप में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी इस साल दो दिन पड़ रहा है। एक 18 और दूसरा 19 तारीख को। और दोनों दिन भारत में कुछ कुछ जगह पर मनायी भी जाएगी। पर सबसे अच्छा जन्माष्टमी मानाने का तारीख कौन सा है ये इस लेख में जानेगे।
बात करे की श्रीकृष्ण से जुड़े धार्मिक स्थलों में जैसे मथुरा, वृन्दावन और द्वारिका के साथ साथ इस्कॉन मंदिरों में भी 19 तारीख को ही जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जायेगा। ऐसा इसलिए क्योकि ज्योतिषी ने 19 तारीख को जन्माष्टमी मनाने के लिए शुभ तारीख बताये है। इस वजह से भारत के उत्तरी क्षेत्र में अधिकतर जगह पर 19 अगस्त को ही कृष्ण जन्माष्टमी को मनाया जायेगा। ज्योतिषी के अनुसार इस बार का जन्माष्टमी 400 सालों पर ऐसा अवसर बन रहा है जो इस दिन तिथि, नक्षत्र, वार और ग्रहो से मिलकर 8 शुभ योग संकेत बन रहे है।
व्रत और पर्व के तिथि कैसे निर्धारित की जाती है।
हिन्दू धर्म के पंडितों के अनुसार व्रत और पर्वों की तारीख का निर्धारण करने के लिए धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु नाम के ग्रंथों में दी गई जानकारी मदद ली जाती है इस बार धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु में दोनों ग्रंथो में जन्माष्टमी मानाने के शुभ तारीख के बारे में कहा गया की, जिस दिन सूर्योदय के वक्त अष्टमी तिथि हो उसी तिथि को पर्व मानना शुभ होगा।
बताते चले की इस बार साल जन्माष्टमी बनाने को लेकर भक्तो में कन्फूशन इसलिए है क्योकि अष्टमी तिथि 18 अगस्त को पुरे दिन भर नहीं रहेगा, ये 18 अगस्त के रात में 09:30 शुरू होगा वही 19 अगस्त को ये पुरे दिन और रात भर रहेगा। इसलिए दिए ग्रंथो में जानकारी के अनुसार 19 को मनाया जायेगा।
इस जन्माष्टमी पर आठ योग
इस जन्माष्टमी को तिथि 19 अगस्त को महालक्ष्मी, बुधादित्य, छत्र और ध्रुव नाम के शुभ योग बने रहेंगे साथ ही कुलदीपक, सत्कीर्ति, हर्ष और भारती नाम के राजयोग बन रहे रहेंगे। इस तरह ज्योतिषी के अनुसार जन्माष्टमी पर ये सभी 8 योगों का महासंयोग पिछले 400 सालों में जन्माष्टमी पर कभी नहीं बना। इन महासंयोग योगों में पूजा करने से पुण्य फल योग्य और बढ़ जाएगा। और इस दिन खरीदारी के लिए भी पूरा दिन शुभ ही रहेगा।
किस योग का क्या महत्व है
महालक्ष्मी: चंद्रमा और मंगल से संयोग से बनने वाले इस योग में लेन-देन और निवेश करना फायदेमंद होता है।
ध्रुव: तिथि, नक्षत्र और वर से बनने वाला ये योग शुभ कामों के लिए बहुत खास माना गया है।
बुधादित्य: ये शुभ योग सूर्य और बुध के मिलने से बनता है। इसमें किए कामों में सफलता की संभावना और बढ़ जाती है।
छत्र: शुक्रवार और कृत्तिका नक्षत्र से बन ये योग में नई नौकरी या बिजनेस शुरुआत करना शुभ होता है।
कुलदीपक: बुध, मंगल और गुरु से बन रहे इस शुभ योग में, भगवान की पूजा करने से संतान की भाग्य जगता है।
भारती: ये योग गुरु और मंगल के मिलन से बन रहा है। इसमें किए गए शुभ कामों का पुण्य और अधिक बढ़ जाता है।
हर्ष: हर्ष राजयोग में किए कोई भी कामों में किस्मत का साथ मिलता है। और सुख और समृद्धि भी बढ़ती है।
सत्कीर्ति: नौकरी और बिजनेस की शुरू करने के लिए इस योग को बहुत ही महत्व दिया जाता है।
दिन में पूजा के पांच मुहूर्त
कृष्ण भगवान् का जन्म चूकिं रात में हुआ था इसलिए कृष्ण जन्मोत्सव रात में मनाने की परंपरा शुरुआत से ही है। लेकिन वक्त के साथ कुछ लोग रात में भगवान की पूजा पाठ नहीं कर पाते हैं। जिसके चलते वो दिन में भी अष्टमी तिथि के समय शुभ मुहूर्त में श्रीकृष्ण भगवान् की पूजा कर सकते हैं। दिन में पूजा के लिए 5 शुभ मुहूर्त रहेंगे।
खरीदारी के लिए शुभ दिन
ज्योतिषी के अनुसार 19 अगस्त के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि में अपने करीबी मित्र ग्रह मंगल के साथ रहेंगे एक ही राशि और नक्षत्र में मौजूद। जिस कारण महालक्ष्मी योग बन रहा है। इस शुभ योग में पैसे का निवेश, वित्तीय लेन-देन और प्रॉपर्टी की खरीदी-बिक्री करना बहुत ही फायदेमंद रहेगा।
जन्माष्टमी में व्रत-उपवास की परंपरा
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत-उपवास की एक परम्परा चली आ रही है। इस विषय में पुराणों में कहा गया है इस दिन बिना अन्न खाए पिए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से, पिछले तीन जन्मों के पाप से छुटकारा मिल जाता है। और सभी मनोकामना भी पूरी होती है। वहीं, व्रत-उपवास परम्परा सेहत के लिए भी खास है। क्योंकि जन्माष्टमी के समय पर हमेशा बारिश का मौसम रहता है। जिस वजह से खाना देरी से और कम पचता है। इस कारण शरीर में बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। ये ही कारण से, जन्माष्टमी पर व्रत-उपवास करने से शरीर के मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है व्रत करने वाले का शरीर स्वस्थ रहता है।